Wednesday, August 21, 2019
Monday, August 12, 2019
पास रक्खेगी नहीं
पास रक्खेगी नहीं सब कुछ लुटायेगी नदी
शंख शीपी रेत पानी जो भी लाएगी नदी
आज है कल को कहीं यदि सूख जाएगी नदी
होठ छूने को किसी का छटपटाएगी नदी
बैठना फुरसत से दो पल पास जाकर तुम कभी
देखना अपनी कहानी खुद सुनाएगी नदी
साथ है कुछ दूर तक ही फिर सभी को छोड़कर
खुद समन्दर में किसी दिन डूब जाएगी नदी
हमने वर्षों विष पिलाकर आजमाया है जिसे
अब हमें भी विष पिलाकर आजमाएगी नदी
–कमलेश भट्ट कमल
शंख शीपी रेत पानी जो भी लाएगी नदी
आज है कल को कहीं यदि सूख जाएगी नदी
होठ छूने को किसी का छटपटाएगी नदी
बैठना फुरसत से दो पल पास जाकर तुम कभी
देखना अपनी कहानी खुद सुनाएगी नदी
साथ है कुछ दूर तक ही फिर सभी को छोड़कर
खुद समन्दर में किसी दिन डूब जाएगी नदी
हमने वर्षों विष पिलाकर आजमाया है जिसे
अब हमें भी विष पिलाकर आजमाएगी नदी
–कमलेश भट्ट कमल
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